01-Feb-2017 12:45 AM
2023
आ गया ऋतुराज बसन्त ।
छा गया ऋतुराज बसन्त ।।
हरित घेंघरी पीत चुनरिया
पहिन प्रकृति ने ली अँगड़ाई
नव-समृद्धि पा विनत हुए तरु
झूम उठी देखो अमराई।
आज सुखद सुरभित सा क्यों ये
मादक पवन बहा अति मन्द।।
फूल उठी खेतों में सरसों
महक उठी क्यारी क्यारी।
लाल, गुलाबी, नीले, पीले
फूलों की छवि है न्यारी।
आज सजे फिर नये साज
वसुधा पर बिखर गये सतरंग।।
हुआ पराजित आज शिविर है
विजयी हुआ आज ऋतुराज।
विजय दुम्दुभी बजा रहे हैं
गुन-गुन सा करते अलिराज
कष्ट शीत का दूर हो गया
मधु-ऋतु लाई सुख अनन्त।।
थिरक उठी है प्रकृति सुन्दरी
आज मिलन की वेला आई।
कूक कूक कोकिल-कुल ने भी
सुखकर सुमधुर तान सुनाई।
सखि बसन्त आए वर बनकर
साथ लिये अपने अनंग।।
आ गया ऋतुराज बसन्त।
छा गया ऋतुराज बसन्त।।
by
शकुन्तला बहादुर , ()