मैं इस मेले में खाली होकर आया था। सब कुछ पीछे छोड़ आया था- तर्कबुद्धि, ज्ञान, कला, जीवन का एस्थेटिक सौन्दर्य। मैं अपना दुख और गुस्सा और शर्म और पछतावा और लांछना-प्रेम और लगाव और स्मृतियाँ भी छोड़ आया था। मैं बिल्कुल खाली होकर आया था- खाली और चुप- क्
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