01-Jan-2016 12:00 AM
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इस साल मैंने कई समारोहों में भाग लिया, जिनमें मैंने अनुभव किया कि ऑस्ट्रेलिया में प्रवासी भारतीय समाज अब प्रगति की राह पर है। हाल ही में, 23 नवंबर को, ऑस्ट्रेलिया के संसद भवन में दीपावली के समरोह बड़े धूमधाम से मनाया गया। सभा को संबोधित करते हुए भारतीय उच्च आयुक्त श्री नवदीप सुरी ने कहा कि यहाँ भारतीय मूल की आबादी साढ़े चार या पाँच लाख हो गए हैं और उनको प्रसन्नता हुई कि दसवीं बार इस तरह का आयोजन किया गया है। ऑस्ट्रेलिया के पहले भारतीय मूल के संसद लीसा सिंह ने लोगों को याद दिलाया कि दीपावली का अर्थ है दुनिया में हम रोशनी जलाकर अँधेरा मिटा सकते हैं। मुख्य वक्ताओं ने भी कहा कि यह इस बात कि गवाही है कि अब ऑस्ट्रेलिया में भारतीय समाज के प्रति सरकार जागरूक है। साथ ही साथ सरकार और विपक्ष के दलों के मंत्रियों ने भाषण दिए। विपक्ष के दल के नेता श्री बिल शोर्टेन ने अपने भाषण में कहा कि ऑस्ट्रेलिया के बहु-सांस्कृतिक समाज में हिन्दु समाज एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण अंग बन गया है। इसके प्रतीक के रूप में दीपावली समारोह में विभिन्न धर्मों के संगठनों के प्रतिनिधि बुलाए गए, जैसे मुसलमान, ईसाई, यहूदी, सिख और बौद्ध धर्मों के प्रतिनिधि। भाषणों के साथ-साथ देश के कोने-कोने के कलाकारों ने नृत्य और गान प्रस्तुत किए जिनमें अत्याधिक विभिन्नता थी, जिनमें बंगाली समाज के एक आधुनिक नाच-नाटक और गुजराती समाज के परंपरागत रस नृत्य भी थे। हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य पर कई आयोजन किये गये। नवीन साउथ वेल्स के संसद भवन में हिंदी दिवस पर एक कविता प्रतियोगिता की गई थी। इस आयोजन में नौजवानों ने हिंदी कविता के प्रति अपने उत्साह दिखाए। नवीन साउथ वेल्स के बहु-सांस्कृतिक मंत्री ने भाषण देते हुए कहा कि आजकल ऑस्ट्रेलिया के वर्तमान प्रवासी आबादी के एक तिहाई भारतीय मूल के हैं और इनमें हिंदी भाषी लोगों की संख्या सबसे ज़्यादा है। इनके अलावा दूसरे मंत्रियों ने भी भाषण दिए जिनमें उन्होंने कहा कि अब ऑस्ट्रेलिया के सिडनी जैसे शहरों में हमारी बहु-सांस्कृतिक संस्कृति में प्रवासी भारतीय समाज सहिष्णुता का प्रतीक बन गए हैं। हिंदी दिवस पर सिडनी स्थित श्रीमति माला मेहता के बाल-भारती स्कूल में सैकड़ों बच्चों और नौजवानों ने भाग लिया और दर्शकों को नाच-गाना, नाटक, संगीत और कविता प्रतियोगिता देखने का मौक़ा मिला। देश की राजधानी कैनबरा में भी भारतीय उच्च आयोग के द्वारा भाषणों की प्रतियोगिता भी मनाई गई जिसकी विजेता ने अपने भाषण में श्रोताओं से आग्रह किया कि इस प्रौद्योगिकीय युग में भी नौजवानों को भी अपनी संस्कृति बरकरार रखने का प्रयास करना नहीं भूलना चाहिए। भारतीय उच्चायुक्त ने ऑस्ट्रेलिया में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए डॉ. पीटर फ़्रीलैंडर, हरप्रीत कौर, नाराबंडा कॉलेज कैनबरा और संतोष गुप्ता, हिंदी स्कूल कैनबरा को सम्मानित किया।
by
डॉ. पीटर फ्रडलैंडर, ()