जर्मनी में जन्म। मातृभाषा जर्मन। शिक्षा के बाद चर्च-संगीत पर काम किया। डेन्मार्क में पुस्तकाध्यक्ष का कार्य सीखा और फिर पढ़ाया। बहु-भाषीय विषय-सूचियों के लिए शोध किया। शिक्षक की उपाधि ली और अनेक भाषाएँ सीखीं। भारतीय संस्कृति और हिंदी भाषा से विशेष लगाव। केंद्रीय हिंदी निदेशालय की हिंदी डिप्लोमा परीक्षा विशेष योग्यता के साथ पास की। हिंदी में अनेक आलेख विभिन्न भारतीय पत्रिकाओं में प्रकाशित। डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव की कविताओं, एकांकी का अंग्रेजी एवं जर्मन में अनुवाद। आलेख एवं अनूदित सामग्री की हिंदी आखिर क्यों? किताब प्रकाशित। सम्प्रति - जर्मन और हिंदी पढ़ाती हैं।